आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".nmo"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ".nmo"
ग़ज़ल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
हम अहल-ए-जब्र के नाम-ओ-नसब से वाक़िफ़ हैं
सरों की फ़स्ल जब उतरी थी तब से वाक़िफ़ हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
बचाते फिरते आख़िर कब तलक दस्त-ए-अज़ीज़ाँ से
उन्हीं को सौंप कर हम तो कुलाह-ए-नाम-ओ-नंग आए
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
उक्ता के हम ने तोड़ी थी ज़ंजीर-ए-नाम-ओ-नंग
अब तक फ़ज़ा में है वही झंकार देखिए