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ग़ज़ल
कल रात तन्हा चाँद को देखा था मैं ने ख़्वाब में
'मोहसिन' मुझे रास आएगी शायद सदा आवारगी
मोहसिन नक़वी
ग़ज़ल
जब सूरज भी खो जाएगा और चाँद कहीं सो जाएगा
तुम भी घर देर से आओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
सईद राही
ग़ज़ल
बड़े शौक़ से मिरा घर जला कोई आँच तुझ पे न आएगी
ये ज़बाँ किसी ने ख़रीद ली ये क़लम किसी का ग़ुलाम है
बशीर बद्र
ग़ज़ल
फ़ना निज़ामी कानपुरी
ग़ज़ल
शबीना अदीब
ग़ज़ल
अभी तारों से खेलो चाँद की किरनों से इठलाओ
मिलेगी उस के चेहरे की सहर आहिस्ता आहिस्ता
मुस्तफ़ा ज़ैदी
ग़ज़ल
क़यामत आएगी या आ गई इस की शिकायत क्या
क़यामत क्यूँ न हो जब फ़ित्ना-ए-रोज़-ए-जज़ा तुम हो