आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".szqa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ".szqa"
ग़ज़ल
कौन सुकून दे सका ग़म-ज़दगान-ए-इश्क़ को
भीगती रातें भी 'फ़िराक़' आग लगा के रह गईं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
जो दिख रहा उसी के अंदर जो अन-दिखा है वो शाइरी है
जो कह सका था वो कह चुका हूँ जो रह गया है वो शाइरी है