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ग़ज़ल
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
तम मेरे ख़यालों में खो कर बर्बाद न करना जीवन को
जब कोई सहेली बात तुम्हें समझाए कभी तो मत रोना
हसरत जयपुरी
ग़ज़ल
डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन पर
वो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
शौक़ बहराइची
ग़ज़ल
सोने में नज़्ज़ारा कर लूँ रू-ए-आलम-ताब का
ख़ौफ़ क्या दुज़्द-ए-निगह को है शब-ए-महताब का
मुनीर शिकोहाबादी
ग़ज़ल
बहुत बिगड़ा हुआ है दोस्तो घर का निज़ाम अपना
ये बस ऊपर ही ऊपर देख लो सब टीम टाम अपना