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ग़ज़ल
तुम्हें कह दिया सितम-गर ये क़ुसूर था ज़बाँ का
मुझे तुम मुआ'फ़ कर दो मिरा दिल बुरा नहीं है
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
न जाने किस लिए दुनिया की नज़रें फिर गईं हम से
तुम्हें देखा तुम्हें चाहा क़ुसूर इस के सिवा किया है