आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "Daraa.e.ngii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "Daraa.e.ngii"
ग़ज़ल
दिन में हँस कर मिलने वाले चेहरे साफ़ बताते हैं
एक भयानक सपना मुझ को सारी रात डराएगा
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
अगर दिल वाक़िफ़-ए-नैरंगी-ए-तब-ए-सनम होता
ज़माने की दो-रंगी का उसे हरगिज़ न ग़म होता
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
आयेगा ज़िक्र जब मिरा महफ़िल में वक़्त-ए-शाम
आहों को क़हक़हों में दबाएँगे आप भी