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ग़ज़ल
नासिर निज़ामी
ग़ज़ल
काश कभी सफ़्फ़ाक ज़माना मेरा सीना चीर के देखे
चैन के बदले दर्द ने अब तो डाल दिए हैं डेरे दिल में
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन पर
वो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
चाँद सितारों से क्या पूछूँ कब दिन मेरे फिरते हैं
वो तो बिचारे ख़ुद हैं भिकारी डेरे डेरे फिरते हैं