aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "KHadiija"
वो हार था कि हार की सूरत में जल्वा-गरदाग़-ए-ग़म-ए-ख़दीजा-ए-उल्फ़त-शिआ'र था
गुज़रती है शब-भर ग़ज़ल कहते कहतेमैं रोती हूँ अक्सर ग़ज़ल कहते कहते
देखिए आप ने चाहा है 'ख़दीजा' को बहुतआप इस बात से इंकार नहीं कर सकते
रसूल-ए-दो-सरा फ़रमा रहे हैंख़दीजा सी न कोई दूसरी है
वो हसरतों का मिरी क़त्ल-ए-'आम कर देंगेकिसी भी रोज़ वो इस दिल का काम कर देंगे
बोलता है तिरे अश'आर का जादू दिल मेंआ रही है तिरे अल्फ़ाज़ की ख़ुशबू दिल में
'ख़दीजा' 'इश्क़-ओ-मोहब्बत की दास्ताँ बन करकोई तो काम ज़माने में कर गए हम तुम
दुनिया को दिखाने से जो मजबूर रहे हैंहम ज़ीस्त के सीने का वो नासूर रहे हैं
आप को अपनी ही बेदाद-गरी याद नहींइस का मतलब है मिरी हम-सफ़री याद नहीं
हिज्र के रंज-ओ-अलम अपनी जगहआप के क़ौल-ओ-क़सम अपनी जगह
हम तो करते हुए रक़्स-ए-बिस्मिल गएजब कभी शौक़ में सू-ए-मंज़िल गए
जब तिरी बज़्म से बा-दीदा-ए-नम उठते हैंअब नहीं आएँगे ये खा के क़सम उठते हैं
हसरत-ए-दिल थी कहाँ की वो कहाँ तक पहुँचेफिर बहारों के तमन्नाई ख़िज़ाँ तक पहुँचे
है फ़क़त यही फ़साना मिरी 'उम्र-ए-मुख़्तसर कामिरी क्या बिसात-ए-हस्ती हूँ चराग़ रात भर का
तुझ से ऐ मेरे सितमगर मा'ज़रतमा'ज़रत-दर-मा'ज़रत-दर-मा'ज़रत
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहींमैं गिरा तो मसअला बन कर खड़ा हो जाऊँगा
रात मुजरिम थी दामन बचा ले गईदिन गवाहों की सफ़ में खड़ा रह गया
मैं संग-सिफ़त एक ही रस्ते में खड़ा हूँशायद मुझे देखेंगी पलट कर तिरी आँखें
खड़ा हूँ कब से मैं चेहरों के एक जंगल मेंतुम्हारे चेहरे का कुछ भी यहाँ नहीं मिलता
वो आज भी सदियों की मसाफ़त पे खड़ा हैढूँडा था जिसे वक़्त की दीवार गिरा कर
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books