आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "KHalvat-o-jalvat"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "KHalvat-o-jalvat"
ग़ज़ल
लुत्फ़-ए-ख़ल्वत-ओ-जल्वत हम न पा सके लेकिन
धूम हर तरफ़ उन की ज़िक्र जा-ब-जा मेरा
अली मंज़ूर हैदराबादी
ग़ज़ल
किस का चमकता चेहरा लाएँ किस सूरज से माँगें धूप
घोर अँधेरा छा जाता है ख़ल्वत-ए-दिल में शाम हुए
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
मज़ा क्या उस बुत-ए-बे-पीर से दिल के लगाने का
जो ख़ल्वत में हो बुत महफ़िल में हो तस्वीर की सूरत
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
मुद्दत में तुम मिले हो क्यूँ ज़िक्र-ए-ग़ैर आए
मैं अपने साए से भी ख़ल्वत में बद-गुमाँ हूँ
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
है ख़ल्वत-ए-दिल-ए-वीराँ ही मंज़िल-ए-महबूब
ये ख़ल्वत-ए-दिल-ए-वीराँ नहीं तो कुछ भी नहीं