आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "Tv"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "Tv"
ग़ज़ल
घरों की तर्बियत क्या आ गई टी-वी के हाथों में
कोई बच्चा अब अपने बाप के ऊपर नहीं जाता
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
अमरीका में टी-वी-चैनल चुपके से दर आए थे
चल निकले तो उर्दू के सब अख़बारों को मार दिया
खालिद इरफ़ान
ग़ज़ल
सदा अम्बालवी
ग़ज़ल
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें