aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aa.nkh"
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैंसो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइलजब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगावक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखोज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
क़हक़हा आँख का बरताव बदल देता हैहँसने वाले तुझे आँसू नज़र आएँ कैसे
न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँकिसी काम में जो न आ सके मैं वो एक मुश्त-ए-ग़ुबार हूँ
ये सभी वीरानियाँ उस के जुदा होने से थींआँख धुँदलाई हुई थी शहर धुँदलाया न था
किसी आँख में नहीं अश्क-ए-ग़म तिरे बअ'द कुछ भी नहीं है कमतुझे ज़िंदगी ने भुला दिया तू भी मुस्कुरा उसे भूल जा
क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकताआँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता
काश अब बुर्क़ा मुँह से उठा दे वर्ना फिर क्या हासिल हैआँख मुँदे पर उन ने गो दीदार को अपने आम किया
मैं जिस की आँख का आँसू था उस ने क़द्र न कीबिखर गया हूँ तो अब रेत से उठाए मुझे
आँख है तुर्क ज़ुल्फ़ है सय्याददेखें दिल का शिकार कौन करे
मुझ से आँख मिलाए कौनमैं तेरा आईना हूँ
सर उठाओ तो सही आँख मिलाओ तो सहीनश्शा-ए-मय भी नहीं नींद के माते भी नहीं
मुंतज़िर हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगेचाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा कर के
ढूँढे है तो पलकों पे चमकने के बहानेआँसू को मिरी आँख में आना नहीं आता
तुम आँख मूँद के पी जाओ ज़िंदगी 'क़ैसर'कि एक घूँट में मुमकिन है बद-मज़ा न लगे
शाम से आँख में नमी सी हैआज फिर आप की कमी सी है
जागने पर भी नहीं आँख से गिरतीं किर्चेंइस तरह ख़्वाबों से आँखें नहीं फोड़ा करते
मिरी दास्ताँ का उरूज था तिरी नर्म पलकों की छाँव मेंमिरे साथ था तुझे जागना तिरी आँख कैसे झपक गई
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