आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "aab-e-ravaa.n"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "aab-e-ravaa.n"
ग़ज़ल
तन्हाई के आब-ए-रवाँ के साहिल पर बैठा हूँ मैं
लहरें आती जाती रहती हैं देखा करता हूँ मैं
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
सब मिरा आब-ए-रवाँ किस के इशारों पे बहा जाता है
और इक शहर मिरे दोनों किनारों पे बसा जाता है
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
ये सब्ज़ा और ये आब-ए-रवाँ और अब्र ये गहरा
दिवाना नहिं कि अब घर में रहूँ मैं छोड़ कर सहरा
आबरू शाह मुबारक
ग़ज़ल
शो'ला-ज़ारों से कभी आब-ए-रवाँ से गुज़रे
हम तिरी राह में हर सूद-ओ-ज़ियाँ से गुज़रे
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
ग़ज़ल
मौज-ए-गुल बर्ग-ए-हिना आब-ए-रवाँ कुछ भी नहीं
इस जहान-ए-रंग-ओ-बू में जावेदाँ कुछ भी नहीं
नामी अंसारी
ग़ज़ल
कुछ तो कर दरिया मिरे इन को डुबो या पार कर
कश्तियों ने अपना दुख आब-ए-रवाँ पर लिख दिया