aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aayate.n"
ये शाइ'री ये किताबें ये आयतें दिल कीनिशानियाँ ये सभी तुझ पे वारना होंगी
ये किताब-ए-दिल की हैं आयतें मैं बताऊँ क्या जो हैं निस्बतेंमिरे सज्दा-हा-ए-दवाम को तिरे नक़्श-हा-ए-ख़िराम से
फ़सील-ए-जिस्म पे शब-ख़ूँ शरारतें तेरीज़रा सी भी नहीं बदली हैं आदतें तेरी
तेरी यादें हो गईं जैसे मुक़द्दस आयतेंचैन आता ही नहीं दिल को तिलावत के बग़ैर
कैसी कैसी आयतें मस्तूर हैं नुक़्ते के बीचक्या घने जंगल छुपे बैठे हैं इक दाने के बीच
आयतें कान में पड़ती थीं सहर होने परहम तो रहते थे जहाँ भर से नियारे घर में
तिरे दिल में भी हैं कुदूरतें तिरे लब पे भी हैं शिकायतेंमिरे दोस्तों की नवाज़िशें मिरे दुश्मनों की इनायतें
इन उँगलियों को चूमना भी बिदअतें शुमार होवो जिन से ख़ाक पर नुमू की आयतें लिखी गईं
गूँजती हैं हर तरफ़ क़ुरआन की ही आयतेंनेकियों में दिन बिताने माह-ए-रमज़ाँ आ गया
तुम्हारे ए'जाज़-ए-हुस्न की मेरे दिल पे लाखों इनायतें हैंतुम्हारी ही देन मेरे ज़ौक़-ए-नज़र की सारी लताफ़तें हैं
किताब-ए-ज़िंदगी की ये मुक़द्दस आयतें हैंहिरन चीतल चिकारे तितलियाँ जुगनू परिंदे
इस में कुछ आयतें दोज़ख़ की भी शामिल कर लोबाज़ लोगों को डराना भी तो हो सकता है
रात-भर आयतें गाते रहिएक्या ख़बर कोई दुआ रक़्स में हो
आयतें मंसूब हैं तुझ से रुमूज़-ए-इश्क़ कीऔर इन्ही आयात की तफ़्सीर हो जाऊँगा मैं
मेरे अंदर का शोर कम कर देआयतें पढ़ के मुझ पे दम कर दे
सब्र की हद में रहना पड़ता हैआयतें यूँ कहाँ उतरती हैं
जो अहल-ए-दिल हो तो एहसास-ए-आगही के लिएबुझी निगाहों में तहरीर आयतें देखो
आयतें हैं हमारी क़िस्मत कीये जो चितवन तिरी जबीं के हैं
फूँकता हूँ पढ़ के सारी आयतेंऔर मुझ को देख के हँसता है जिन
उन उँगलियों को चूमना भी बिदअ'तें शुमार होंवो जिन से ख़ाक पर नुमू की आयतें लिखी गईं
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