aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "abaa"
सुना है आइना तिमसाल है जबीं उस कीजो सादा दिल हैं उसे बन-सँवर के देखते हैं
अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़ह्म को तुझ से हैं उमीदेंये आख़िरी शम'एँ भी बुझाने के लिए आ
ऐ मिरे सुब्ह-ओ-शाम-ए-दिल की शफ़क़तू नहाती है अब भी बान में क्या
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलेंजिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
ख़त ऐसा लिखा है कि नगीने से जड़े हैंवो हाथ कि जिस ने कोई ज़ेवर नहीं देखा
ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरीकोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम
मगर ये अहल-ए-रिया किस क़दर बरहना हैंगलीम ओ दल्क़ ओ अबा ओ क़बा के होते हुए
ख़मोशी कह रही है अब ये दो-आबा रवाँ होगाहवा चुप हो तो बारिश के शदीद आसार होते हैं
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आयाबात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
बहुत है लम्हा-ए-मौजूद का शरफ़ भी मुझेसो अपने फ़न से बक़ा-ए-अबद नहीं माँगी
ये परी-चेहरा लोग कैसे हैंग़म्ज़ा ओ इश्वा ओ अदा क्या है
बोतलें ख़ाली गईं ज़ेर-ए-अबाआज मय-ख़ाने में मय फ़ाज़िल नहीं
दिल में जो लहू-झील थी वो सूख चुकी हैआँखों का दो-आबा है सो बे-कार पड़ा है
नज़्म को गिफ़्ट रुबाई को अता कहते हैंशेर वो ख़ुद नहीं कहते हैं चचा कहते हैं
ये बात राज़ की दादी ने हम को बतलाईहमारी उम्र में अब्बा भी देवदास रहे
रह के भी दूर सुन सके अब्बा की खाँसियाँबेटा कभी भी बाप की बेटी न बन सका
इश्क़ से दिल को ऊबा देखाजिस्म का जब से सौदा देखा
मन हो दरवेश तो फिर तन पे क़बा हो कि अबाजोग बाना नहीं अंदाज़-ए-नज़र है बाबा
मैं उस का राजा हूँ बचपने से पर उस का अब्बाउसे फ़क़ीरों के घर की रानी बना रहा है
फ़र्ज़ बरसों की इबादत का अदा हो जैसेबुत को यूँ पूज रहे हैं कि ख़ुदा हो जैसे
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