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ग़ज़ल
फ़स्ल-ए-गुल में हर घड़ी ये अब्र-ओ-बाराँ फिर कहाँ
देख लो ख़ुश हो के याराँ ये बहाराँ फिर कहाँ
नैन सुख
ग़ज़ल
अब्र-ए-बाराँ याद में उस की कब तक रोया करना है
वक़्त बता देना फिर मुझ को याँ पे सहरा करना है
विश्वदीप ज़ीस्त
ग़ज़ल
अब्र-ए-बाराँ के मज़े लूटूँ मैं क्यूँकर 'मंज़र'
दम भी लेने दे मिरी आँखों की बरसात मुझे
मंज़र लखनवी
ग़ज़ल
खेत की मिट्टी वही है अब्र-ए-बाराँ भी वही
की गई मेहनत तो फ़स्लों में इज़ाफ़ा हो गया
इरफ़ान आज़मी
ग़ज़ल
कितने फूल महकते हैं दिल में दाग़ों की सूरत
आग बना अब्र-ए-बाराँ मैं तन्हा हूँ दिल तन्हा
सय्यद आबिद शाह आबिद
ग़ज़ल
है अपनी किश्त-ए-वीराँ सरसब्ज़ इस यक़ीं से
आएँगे इस तरफ़ भी इक रोज़ अब्र-ओ-बाराँ
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
कड़क बिजली की सुनते ही लिपट जाते हैं सीने में
गरज ऐ अब्र-ए-बाराँ ऐसा मौक़ा बार बार आए