आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "abuu-bakr"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "abuu-bakr"
ग़ज़ल
मैं अबू-बक्र-ओ-अली वाला हूँ 'यूनुस-तहसीन'
मुझ को मुल्ला के मसालिक से मिलाने का नहीं
यूनुस तहसीन
ग़ज़ल
ख़ाकसारी से तू इक्सीर से आगे बढ़ जा
वो ज़मीं बन कि फ़लक-ए-पीर से आगे बढ़ जा
अबुल बक़ा सब्र सहारनपुरी
ग़ज़ल
मिल भी जाता जो कहीं आब-ए-बक़ा क्या करते
ज़िंदगी ख़ुद भी थी जीने की सज़ा क्या करते
तनवीर अहमद अल्वी
ग़ज़ल
कुछ ऐसे आ रहा है हुस्न-ए-यार आहिस्ता आहिस्ता
चमन में जैसे आती है बहार आहिस्ता आहिस्ता
अबुल बक़ा सब्र सहारनपुरी
ग़ज़ल
इस लिए मिलता है वो माह-ए-लक़ा तीसरे दिन
रुख़ बदलती है ज़माने की हवा तीसरे दिन
अबुल बक़ा सब्र सहारनपुरी
ग़ज़ल
अह्द-ए-पीरी में हुए अपने जो सब बाल सफ़ेद
हम ये समझे कि हुआ नामा-ए-आमाल सफ़ेद
अबुल बक़ा सब्र सहारनपुरी
ग़ज़ल
रंग ला कर ही रहा उन का शबाब आख़िर-कार
जिस ने देखा वो हुआ ख़ाना-ख़राब आख़िर-कार
अबुल बक़ा सब्र सहारनपुरी
ग़ज़ल
परी तुम हो मिरी जाँ हूर तुम हो मह-लक़ा तुम हो
जहाँ में जितने हैं माशूक़ उन सब से जुदा तुम हो