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ग़ज़ल
ज़ुबैर अली ताबिश
ग़ज़ल
फिर आज तिरे दरवाज़े पर बड़ी देर के बा'द गया था मगर
इक बात अचानक याद आई मैं बाहर ही से लौट आया
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
उस ने इक रोज़ किया हम से अचानक वो सवाल
धड़कनें थम सी गईं वक़्त ने जुम्बिश नहीं की