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ग़ज़ल
दाद मिलती नज़र-ए-अहल-ए-नज़र से पहले
मौत आती जो कहीं दिल को जिगर से पहले
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लखनवी
ग़ज़ल
ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा दिलों में दफ़्न हो कर रह गया
आँख वालों में भी अब अहल-ए-नज़र मिलते नहीं
ज़हीर काश्मीरी
ग़ज़ल
यूँही नज़रों से कहाँ अहल-ए-नज़र गिरते हैं
जिन की बुनियाद नहीं होती वो घर गिरते हैं
मैकश अमरोहवी
ग़ज़ल
अहल-ए-नज़र की आँख में हुस्न की आबरू नहीं
यानी ये गुल है काग़ज़ी रंग है जिस में बू नहीं
रशीद रामपुरी
ग़ज़ल
अहल-ए-दिल मुश्किल में हैं अहल-ए-नज़र मुश्किल में हैं
आज मैं क्या मेरे सारे हम-सफ़र मुश्किल में हैं
असद भोपाली
ग़ज़ल
वो दिल कहाँ है अहल-ए-नज़र दिल कहें जिसे
या'नी नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल कहें जिसे
तिलोकचंद महरूम
ग़ज़ल
कुछ ऐसे अहल-ए-नज़र ज़ेर-ए-आसमाँ गुज़रे
कि जिन के फ़र्श पे भी अर्श का गुमाँ गुज़रे