आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "albelii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "albelii"
ग़ज़ल
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
गाँव की उस ख़ामोशी में इक लज़्ज़त थी अलबेली सी
कमरा कमरा घोंट रही है हर पल शहरी ख़ामोशी
ख़्वाजा तारिक़ उस्मानी
ग़ज़ल
अब के फिर जो काल पड़ा तो हर अलबेली गाँव की गोरी
फिर से सोना-गाछी जाकर तन का कारोबार करेगी
रज़ा अश्क
ग़ज़ल
वहशतें कैसी हैं ख़्वाबों से उलझता क्या है
एक दुनिया है अकेली तू ही तन्हा क्या है
उबैदुल्लाह अलीम
ग़ज़ल
जो इन की नज़र से खेले दुख पाए मुसीबत झेले
फिरते हैं ये सब अलबेले दिल ले के मुकर जाने को