aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "andhere"
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता हैचाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
इन चराग़ों के तले ऐसे अँधेरे क्यूँ हैतुम भी रह जाओगे हैरान ज़रा देख तो लो
दर-ए-क़फ़स पे अँधेरे की मोहर लगती हैतो 'फ़ैज़' दिल में सितारे उतरने लगते हैं
कहाँ से आई ये ख़ुशबू ये घर की ख़ुशबू हैइस अजनबी के अँधेरे में कौन आया है
लाख रोकें ये अँधेरे मिरा रस्ता लेकिनमैं जिधर रौशनी जाएगी उधर जाऊँगा
तुझे ख़बर ही नहीं रात मो'जिज़ा जो हुआअँधेरे को, तुझे छू कर, दिखाई देने लगा
देते हैं उजाले मिरे सज्दों की गवाहीमैं छुप के अँधेरे में इबादत नहीं करता
'क़मर' मैं हूँ मुख़्तार तंज़ीम-ए-शब काहैं मेरे ही बस में अँधेरे उजाले
कुछ और बढ़ गए जो अँधेरे तो क्या हुआमायूस तो नहीं हैं तुलू-ए-सहर से हम
कौन रखता है अँधेरे में दिया आँख में ख़्वाबतेरी जानिब ही तिरे लोग इशारा करते
हम से टकरा गई ख़ुद बढ़ के अँधेरे की चटानहम सँभल कर जो बहुत चलते थे नाचार गिरे
अँधेरे ढल गए रौशन हुए मंज़र ज़मीं जागी फ़लक जागा तो जैसे जाग उट्ठी ज़िंदगानीमगर कुछ याद-ए-माज़ी ओढ़ के सोए हुए लोगों को लगता है जगाने में अभी कुछ दिन लगेंगे
गो सियह-बख़्त हैं हम लोग पे रौशन है ज़मीरख़ुद अँधेरे में हैं दुनिया को दिखाते हैं चराग़
प्यार का ख़ून हुआ क्यूँ ये समझने के लिएहर अँधेरे को उजाले में बुलाया जाए
अंधेरे चारों तरफ़ साएँ साएँ करने लगेचराग़ हाथ उठा कर दुआएँ करने लगे
आप क्या आए कि रुख़्सत सब अँधेरे हो गएइस क़दर घर में कभी भी रौशनी देखी न थी
तेरे रुख़ पर है ये परेशानीइक अँधेरे में नूर है साक़ी
रोई है सारी रात अँधेरे में बे-कसीआँसू भरे हुए हैं चराग़-ए-मज़ार में
अँधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी हैजहाँ महबूब रहता है वहीं महताब रहता है
इसी लिए तो अँधेरे हसीन लगते हैंकि रात मिल के तिरे गेसुओं से आती है
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