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ग़ज़ल
दीप्ति मिश्रा
ग़ज़ल
अलीमुल्लाह
ग़ज़ल
क़यामत है जो ऐसे पर दिल-ए-उम्मीद-वार आए
जिसे वादे से नफ़रत हो जिसे मिलने से आर आए
बेख़ुद देहलवी
ग़ज़ल
बारिश एक पड़े तो बाहर आपे से हो जाती है
जिस मख़्लूक़ ने आँखें खोलीं धरती के तह-ख़ाने में