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ग़ज़ल
पूछा हमारा हाल-ए-दिल जिस ने 'इराक़ी' प्यार से
अपना कलाम एक बार पढ़ के सुना दिया कि यूँ
अब्बास इराक़ी
ग़ज़ल
मेरे मातम में उतारीं आ के मेरी क़ब्र पर
दे गई यूँ मुझ को वो अपनी निशानी चूड़ियाँ
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
ग़ज़ल
अश्क तो इतने बहे 'चंदा' कि चश्म-ए-ख़ल्क़ से
क़ुर्रत-उल-ऐन-ए-अली के ग़म में बह जाती है नींद
मह लक़ा चंदा
ग़ज़ल
न काम आलम से है हम को न हूर-उल-ऐन-ए-जन्नत से
है इक मदहोश दाना-तर ब-दिल-होशियार से मतलब
मरदान सफ़ी
ग़ज़ल
बहुत आसाँ न समझो संग-दिल दिल मोम हो जाना
उतरती है निगाह-ए-अव्वलीं आहिस्ता आहिस्ता
रुख़्साना निकहत लारी उम्म-ए-हानी
ग़ज़ल
सरिश्क-ए-सर ब-सहरा दादा नूर-उल-ऐन-ए-दामन है
दिल-ए-बे-दस्त-ओ-पा उफ़्तादा बर-ख़ुरदार-ए-बिस्तर है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
रह-रवान-ए-सफ़र-ए-बादिया-ए-इशक़ ऐ वाए
क़ाफ़िले राह में लुटवा के चले आते हैं
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
दिल पे हिर्स-ओ-हसद-ए-बादिया-पैमा न करें
इस से बेहतर है कि शग़्ल-ए-मय-ओ-पैमाना करें
ख़लील-उर-रहमान राज़
ग़ज़ल
ख़ातिर-ए-हुस्न-ए-गुल-ए-तर आगे जाना है अबस
जानिब-ए-बलिया बुआ गुलहा-ए-बक्सर देख कर