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ग़ज़ल
है मिरा नाम-ए-अर्जुमंद तेरा हिसार-ए-सर-बुलंद
बानो-ए-शहर-ए-जिस्म-ओ-जाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर
जौन एलिया
ग़ज़ल
अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ
ग़ज़ल
ये शहर है वो शहर कि जिस में हैं बे-वज्ह कामयाब चेहरे
यहाँ सियासत की आँधियों ने मिटा दिए माहताब चेहरे
अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ
ग़ज़ल
जब सितारों की रिदा काँधे से सरकाती है रात
चाँद के सीने से लग कर नूर बन जाती है रात
अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ
ग़ज़ल
बिर्ज लाल रअना
ग़ज़ल
जिया ब-काम कब इस बख़्त-ए-अर्जुमंद से मैं
फँसा क़फ़स में जो छूटा चमन के बंद से मैं
क़ाएम चाँदपुरी
ग़ज़ल
ज़ियाँ था नाज़ मता-ए-हुनर पे ऐ 'मंज़ूर'
ये चीज़ चश्म-ए-ज़माना में अर्जुमंद न थी