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ग़ज़ल
जराहत-तोहफ़ा अल्मास-अर्मुग़ाँ दाग़-ए-जिगर हदिया
मुबारकबाद 'असद' ग़म-ख़्वार-ए-जान-ए-दर्दमंद आया
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ये सुर ये ताल ये लय कुछ नहीं ब-जुज़ तौफ़ीक़
तो फिर ये क्या है कि हम अर्मुग़ाँ बनाते हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
तवक़्क़ो उस की थी महदूद मैं भी चुप ही रहा
सफ़र के और भी तोहफ़े थे अरमुग़ान के बाद
प्रीतपाल सिंह बेताब
ग़ज़ल
थकन की तल्ख़ियों को अरमुग़ाँ अनमोल देती है
तिरी बोली मिरी चाय में चीनी घोल देती है
ताैफ़ीक़ साग़र
ग़ज़ल
जो कू-ए-दोस्त को जाऊँ तो पासबाँ के लिए
नहीं है ख़्वाब से बेहतर कुछ अरमुग़ाँ के लिए
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
ग़ज़ल
सोज़-ओ-गुदाज़-ओ-दर्द-ओ-ग़म हसरत-ओ-दिल-शिकस्तगी
ज़ीस्त में कितने क़ीमती हम को ये अरमुग़ाँ मिले
ख़लील-उर-रहमान राज़
ग़ज़ल
क्यूँ हैं नदीम-ए-दोस्त सिफ़ारिश में ग़ैर की
क्या हम को उन से रस्म-ओ-रह-ए-अरमुग़ाँ नहीं
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
ग़ज़ल
जो अता हो दौलत-ए-दो-जहाँ तो कभी क़ुबूल न मैं करूँ
मिले दर्द-ए-इश्क़ तिरा मुझे उसी अरमुग़ाँ की तलाश है
वली काकोरवी
ग़ज़ल
निगाह-ए-नाज़ ने उन की मुझे इक अरमुग़ाँ बख़्शा
मिला दरबार-ए-उल्फ़त से शुऊर-ए-ज़िंदगी मुझ को
रऊफ़ यासीन जलाली
ग़ज़ल
उस के हर्फ़-ओ-लफ़्ज़ में पोशीदा है राज़-ए-हयात
ता-क़यामत रहने वाला अरमुग़ान सूरज का है
मिराक़ मिर्ज़ा
ग़ज़ल
हिर्स-ओ-हवा से है दिल-ए-ग़म-गीं भरा हुआ
ले जाऊँ पेश-ए-यार मैं क्या अरमुग़ाँ ख़राब
आलमगीर ख़ान कैफ़
ग़ज़ल
जिगर का ख़ून आँसू में अगर शामिल नहीं होगा
ये मोती अरमुग़ान-ए-दोस्त के क़ाबिल नहीं होगा