आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ashraaf"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ashraaf"
ग़ज़ल
तिरी चाहत मिरे पैरों की जो ज़ंजीर बन जाए
तो फिर ऐसे में जाने जाँ मिरी तक़दीर बन जाए
आरज़ू अशरफ़ सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
फ़रिश्ते भी न समझे आज तक मेरी हक़ीक़त को
कि ताज-ए-अशरफ़-ए-मख़्लूक़ की ज़ीनत है सर मेरा
मोहम्मद यूसुफ़ रासिख़
ग़ज़ल
'आरज़ू' जाने भी कैसे कोई रुत्बा माँ का
रू-ए-जन्नत से हसीं लगता है तलवा माँ का