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ग़ज़ल
सब जनावर आ ख़ुशी में तू अगर चाहे शिकार
ता ब-हद कावी ज़मीं तक ही करे जानाना रक़्स
लुत्फ़ुन्निसा इम्तियाज़
ग़ज़ल
ब-हद्द-ए-वुसअत-ए-ज़ंजीर गर्दिश करता रहता हूँ
कोई वहशी गिरफ़्तार-ए-सफ़र ऐसा नहीं होगा
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
क्या कहूँ जज़्बात का तूफ़ान कितना तेज़ है
दिल ब-हद्द-ए-बे-ख़ुदी एहसास से लबरेज़ है
अकबर हैदरी कश्मीरी
ग़ज़ल
'नय्यर' ब-हद्द-ए-दश्त गुलिस्ताँ बना तो क्या
अपनी नज़र नज़र को गुलिस्ताँ बनाइए
मुस्तफ़ा हुसैन नय्यर
ग़ज़ल
आग दे दे कर ब-हद्द-ए-आशियाँ ये इंतिक़ाम
तिनका तिनका क्यों किसी को इस क़दर महबूब था
आले रज़ा रज़ा
ग़ज़ल
हुदूद-ए-शश-जिहत से मावरा जब उस के जल्वे हैं
तो परवाज़-ए-मोहब्बत ता-ब-हद्द-ए-दो-सरा क्यों हो