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ग़ज़ल
बज़्म-ए-हस्ती को ब-सद-हसरत-ए-ता'मीर न देख
शम्अ' से रब्त बढ़ा शम्अ' की तनवीर न देख
अदीब मालेगांवी
ग़ज़ल
साक़ी-ए-गुलफ़ाम बा-सद एहतिमाम आ ही गया
नग़्मा बर लब ख़ुम ब सर बादा ब जाम आ ही गया
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
ग़म की भट्टी में ब-सद-शौक़ उतर जाऊँगा
तप के कुंदन सा मैं इक रोज़ निखर जाऊँगा
श्याम सुन्दर नंदा नूर
ग़ज़ल
ये मय-कश कौन बा-सद लग़्ज़िश-ए-मस्ताना आता है
इशारे होते हैं वो रौनक़-ए-मय-ख़ाना आता है
अम्न लख़नवी
ग़ज़ल
जिस के लिए ये बज़्म सजाई ब-सद-ख़ुलूस
रस्म-ए-वफ़ा भी उस ने निभाई ब-सद-ख़ुलूस
नफ़ीसा सुल्ताना अंना
ग़ज़ल
बहुत मुश्किल सही लेकिन ब-सद मुश्किल भी देखेंगे
कि अनवार-ए-हक़ीक़त तालिबान-ए-दिल भी देखेंगे
क़ैसर हैदरी देहलवी
ग़ज़ल
उठते हैं बुलबुले लब-ए-विज्दाँ ब-सद-ख़रोश
दुनिया-ए-'अक़्ल-ओ-वज्द की हैरानी रू-ए-दोश
अख़लाक़ अहमद आहन
ग़ज़ल
नज़र हम पर हमेशा जो ब-सद-तश्कीक रखते हैं
दिलों में हम उन्हें भी लाइक़-ए-तज़हीक रखते हैं
होश नोमानी रामपुरी
ग़ज़ल
ये दम उस के वक़्त-ए-रुख़्सत ब-सद-इज़्तिराब उल्टा
कि ब-सू-ए-दिल मिज़ा से वहीं ख़ून-ए-नाब उल्टा