आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "baak"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "baak"
ग़ज़ल
वक़्त ने ऐसे घुमाए उफ़ुक़ आफ़ाक़ कि बस
मेहवर-ए-गर्दिश-ए-सफ़्फ़ाक से ख़ौफ़ आता है
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
बर्क़ भी गिरती है अक्सर ख़िर्मन भी जलते हैं मगर
अपने हाथों ख़िर्मन को आग लगाना सहल नहीं
मेला राम वफ़ा
ग़ज़ल
इक़बाल अज़ीम
ग़ज़ल
ला-रैब ख़मोशी ने तेरी तासीर दिखा दी मस्तों को
बे-बाक जो मय-कश था साक़ी उस बज़्म से वो महजूब गया
शाद अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
ज़क-ज़क-ओ-बक़-बक़ में दुनिया के न हो 'अकबर' शरीक
चुप ही रहने पर ज़बान-ए-तेज़ को राज़ी करो
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
शो'ला-ए-गुल की बढ़ा देती है लौ-ए-बाद-ए-बहार
तह-ए-शबनम भी दहक उठती है इक चिंगारी