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ग़ज़ल
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
शब शौक़ ले गया था हमें उस के घर तलक
पर ग़श सा आ गया वोहीं पहुँचे जो दर तलक
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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शब शौक़ ले गया था हमें उस के घर तलक
पर ग़श सा आ गया वोहीं पहुँचे जो दर तलक