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ग़ज़ल
सिर्फ़ ज़ाहिर हो गया सरमाया-ए-ज़ेब-ओ-सफ़ा
क्या तअ'ज्जुब है जो बातिन बा-सफ़ा मिलता नहीं
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
अहबाब का शिकवा क्या कीजिए ख़ुद ज़ाहिर ओ बातिन एक नहीं
लब ऊपर ऊपर हँसते हैं दिल अंदर अंदर रोता है
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल
मैं जो कुछ हूँ वही कुछ हूँ जो ज़ाहिर है वो बातिन है
मुझे झूटे दर-ओ-दीवार चमकाना नहीं आता
अदीम हाशमी
ग़ज़ल
तुम अपने शिकवे की बातें न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से कि इस में आग दबी है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मुझे तहज़ीब-ए-हाज़िर ने अता की है वो आज़ादी
कि ज़ाहिर में तो आज़ादी है बातिन में गिरफ़्तारी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
इक किरन तक भी न पहुँची मिरे बातिन में 'नदीम'
सर-ए-अफ़्लाक दमकते रहे तारे क्या क्या