aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "bad-zabaan"
ये क्या कहा मुझे ओ बद-ज़बाँ बहुत अच्छासुना ली और भी दो गालियाँ बहुत अच्छा
पढ़ के क़ासिद ख़त मिरा उस बद-ज़बाँ ने क्या कहाक्या कहा फिर कह बुत-ए-ना-मेहरबाँ ने क्या कहा
बद-ख़ू-ओ-बद-ज़बान कहो बे-अदब कहोतारीफ़ में ऐ दोस्तो हर 'हक़'-बयान की
जोहला-ए-ब-ज़बान बनें रहबरना-ए-क़ौमउलमा-ए-ख़ुश-कलाम को बस गुम-रही मिले
बोसा-ए-लब से एक दिन उस के हुआ न कामयाबदिलबर-ए-बद-ज़बाँ की मैं गालियाँ ही सुना किया
नाम सुनता है जब वो 'बेख़ुद' कागालियाँ बद-ज़बान देता है
इक नज़र ख़ुद पे डालिए साहबआइना बद-ज़बाँ नहीं होता
मु'आफ़ी चाहता हूँ बोलने कीमुझे एहसास है मैं बद-ज़बाँ हूँ
बे-सबब बद-ज़बान बोलता हैझोल है उस के ख़ानदान में क्या
बोलने से ही जिस के आग लगेऐसा भी बद-ज़बान देखा है
अब बताओ निबाह पाओगीबद-ज़बाँ हूँ मैं और बद-ख़ू भी
हसीनों में नहीं कोई बुराईमगर इक ऐब ये है बद-ज़बाँ हैं
बंद रखता हूँ बस ये जान के मुँहकभी लगिए न बद-ज़बान के मुँह
सब चले तेरे आस्ताँ को छोड़बद-ज़बाँ अब तो इस ज़बाँ को छोड़
मुझ को देखा तो देने लगी गालियाँमेरी तन्हाई क्या बद-ज़बाँ हो गई
मुँह देख रहा हूँ और चुप हूँक्या बात करूँ वो बद-ज़बाँ है
इलाही देखिए क्यूँकर निबाह होता हैज़बाँ-दराज़ हूँ मैं और बद-ज़बाँ सय्याद
हर्फ़-ए-तल्ख़ उन के क्या कहूँ मैं ग़रज़ख़ूब-रू बद-ज़बान होते हैं
कहूँ अहवाल दिल का उस को क्यूँकरबहुत नाज़ुक-मिज़ाज ओ बद-ज़बाँ है
कोई सिला नहीं पाया तुम्हारी चाहत मेंतुम्हारे वास्ते लोगों में बद-ज़बाँ भी बने
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