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ग़ज़ल
अहमद सलमान
ग़ज़ल
हम भी उस सिलसिला-ए-इश्क़ में बैअत हैं जिसे
हिज्र ने दुख न दिया वस्ल ने राहत नहीं दी
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
एक तरीक़ा ये भी है जब जीना इक नाचारी हो
हाथ बंधे हों सीने पर दिल बैअत से इंकारी हो