आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bairan"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bairan"
ग़ज़ल
बैरन रीत बड़ी दुनिया की आँख से जो भी टपका मोती
पलकों ही से उठाना होगा पलकों ही से पिरोना होगा
मीराजी
ग़ज़ल
रुत आए रुत जाए बैरन हर मौसम में बरसी हैं
तेरे ग़म ने इन आँखों को बादल कर के छोड़ दिया
ज्ञानेंद्र विक्रम
ग़ज़ल
मुझ से ज़ियादा वक़्त भला क्यों बंसी बैरन पाती है
पूछ रही है राधा प्यारी अपने श्याम सलोने से
हीरालाल यादव हीरा
ग़ज़ल
अहमद सलमान
ग़ज़ल
बेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ
याद आती है! चौका बासन चिमटा फुकनी जैसी माँ
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
अभी बादबान को तह रखो अभी मुज़्तरिब है रुख़-ए-हवा
किसी रास्ते में है मुंतज़िर वो सुकूँ जो आ के चला गया