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ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
गाल की जानिब झुकती है शरमाती है हट जाती है
आज इरादा ठीक नहीं है जान तुम्हारी बाली का
मुमताज़ गुर्मानी
ग़ज़ल
सदक़े होती हैं बराबर उन कलाई पहुँचों पर
गिर्द फिरती हैं ख़ुशी से बारी बारी चूड़ियाँ
मुनीर शिकोहाबादी
ग़ज़ल
मेहंदी में लाली जिस तरह कानों में बाली जिस तरह
जब यूँ मिले तो क्या चले दुनिया का हम पे दाँव रे
हसन कमाल
ग़ज़ल
पहले तू आग़ाज़-ए-सफ़र कर फिर तारों की दूकानों से
बाली बुंदे झुमके पायल ले दूँगा मैं कंगन भी
विजय शर्मा
ग़ज़ल
ग़म-ए-दुनिया-ओ-दीं से अब कहाँ दम भर की भी मोहलत
हमारी फ़ारिग़-उल-बाली सुधारी साथ बचपन के