आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "banaatii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "banaatii"
ग़ज़ल
सियासत जब ज़रूरत हो नया रिश्ता बनाती है
कोई कितना मुख़ालिफ़ हो उसे अपना बनाती है
साबिर शाह साबिर
ग़ज़ल
लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ तो मिस्सी मुँह बनाती है
कफ़-ए-पा को अगर चूमूँ तो मेहंदी रंग लाती है
आसी ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
अभी छोड़ा कहाँ तुझ को अभी क्या बात बिगड़ी है
किनारे पर खड़े हैं हम कि तुम आँसू बहाती हो