आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "banda-e-daam-e-havas"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "banda-e-daam-e-havas"
ग़ज़ल
था दाम-ए-हवस ही कुछ ऐसा वो लौट के आना भूल गया
जो बस्ती बस्ती फिरता था वो घर का रस्ता भूल गया
हकीम राज़ी अदीबी अशरफ़ी
ग़ज़ल
वाबस्ता-ए-दाम-ए-होश-ओ-ख़िरद हंगामा-ए-वहशत करना है
ता'मीर के रंगीं फूलों से तख़रीब का दामन भरना है
क़ाज़ी सय्यद मुश्ताक़ नक़्वी
ग़ज़ल
मौसम-ए-गुल साथ ले कर बर्क़ ओ दाम आ ही गया
यानी अब ख़तरे में गुलशन का निज़ाम आ ही गया
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
मक़्दूर नहीं हम को फ़र्त-ए-दम-ए-जौलाँ पर
कर देंगे निछावर जाँ हम 'इश्वा-ए-सामाँ पर
डॉ. हबीबुर्रहमान
ग़ज़ल
दाम-ए-ख़याल-ए-ज़ुल्फ़-ए-बुताँ से छुड़ा लिया
क्या बाल बाल मुझ को ख़ुदा ने बचा लिया
सफ़ी औरंगाबादी
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
वो तलव्वुन-ए-दम-ए-होश था कभी कुछ बने कभी कुछ बने
ये जुनून-ए-इश्क़ की शान है जो बना दिया सो बना दिया
आले रज़ा रज़ा
ग़ज़ल
जो नंग-ए-इश्क़ हैं वो बुल-हवस फ़रियाद करते हैं
लब-ए-ज़ख़्म-ए-'हवस' से कब सदा-ए-ज़ींहार आई
मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस
ग़ज़ल
जोड़ना उन का निहायत ऐ 'हवस' दुश्वार था
दिल के टुकड़े देख मेरे शीशागर ने क्या कहा
मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस
ग़ज़ल
इस में ज़ियाँ है जान का सुनता है ऐ 'हवस'
ज़िन्हार बार-ए-इश्क़ न सर पर उठाइयो
मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस
ग़ज़ल
जाता हूँ जब उस के पास कहता है वो ऐ 'हवस'
आगे तू मेरे न आ सामने से टल कहीं