आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "baqiyat e ghalib ebooks"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "baqiyat e ghalib ebooks"
ग़ज़ल
ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही
न तो तू रहा न तो मैं रहा जो रही सो बे-ख़बरी रही
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मिरे दिल की अब ऐ अश्क-ए-नदामत शुस्त-ओ-शू कर दे
बस इतना कर के दुनिया से मुझे बे-आरज़ू कर दे
श्याम सुंदर लाल बर्क़
ग़ज़ल
ऐ शब हिज्र कहीं तेरी सहर है कि नहीं
नाला-ए-नीम-शबी तुझ में असर है कि नहीं
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
हम तो उस कूचे में घबरा के चले आते हैं
दो क़दम जाते हैं फिर जा के चले आते हैं
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
जहाँ नासेहों का हुजूम था वहीं आशिक़ों की भी धूम थी
जहाँ बख़िया-गर थे गली गली वहीं रस्म-ए-जामा-दरी रही
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
नहीं है ज़ख़्म कोई बख़िये के दर-ख़ुर मिरे तन में
हुआ है तार-ए-अश्क-ए-यास रिश्ता चश्म-ए-सोज़न में
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
है मुफ़्त दिल की क़ीमत अगर इक नज़र मिले
ये वो मताअ' है कि न लें मुफ़्त अगर मिले
मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा
ग़ज़ल
मैं ने ये कब कहा है कि वो मुझ को तन्हा नहीं छोड़ता
छोड़ता है मगर एक दिन से ज़ियादा नहीं छोड़ता