आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bar-sar-e-baazaar"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bar-sar-e-baazaar"
ग़ज़ल
ख़ौफ़-ओ-वहशत बर-सर-ए-बाज़ार रख जाता है कौन
यूँ रग-ए-एहसास पर तलवार रख जाता है कौन
अब्दुस्समद ’तपिश’
ग़ज़ल
लिए हम काँच का दिल बर-सर-ए-बाज़ार बैठे हैं
थे पत्थर जिनकी झोली ख़ुश वही तो बाज़ीगर लौटे
मुमताज़ मालिक
ग़ज़ल
ख़ुद ख़रीदार हुआ हुस्न-ए-बुताँ का वो कभी
हो के यूसुफ़ वो कभी बर-सर-ए-बाज़ार आया