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ग़ज़ल
फ़ैसला-कुन बात हो जाती है अक्सर उस घड़ी
ज़िंदगी के रू-ब-रू जब मौत को पाता हूँ मैं
राम परशाद शारदा
ग़ज़ल
मेला राम वफ़ा
ग़ज़ल
यूँ तो दुनिया में क़यामत के परी-रू देखे
सब से बढ़ कर तुझे ऐ फ़ित्ना-ए-महशर पाया
लाला माधव राम जौहर
ग़ज़ल
उन की हर इक बात का ऐसा असर मुझ पर हुआ
रुक गईं नज़रें मिरी शहर-ए-निगाराँ की तरफ़