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ग़ज़ल
अमीर ख़ुसरो
ग़ज़ल
नाजी शाकिर
ग़ज़ल
रात पेट्रोल की आग से शहर में यूँ चराग़ाँ हुआ
काँप कर बुझ गईं दिल के रौशन झरोकों की सब बत्तियाँ
मंज़र शहाब
ग़ज़ल
अभी रौशन हुई हैं मेरे घर की बत्तियाँ मुझ से
हवा फिर ले न जाए छीन कर परछाइयाँ मुझ से
ख़ालिद रहीम
ग़ज़ल
जुदाई में जलेगा तेरी मिस्ल-ए-शम्अ' दिल मेरा
अगर की बत्तियाँ बन कर जलेंगी हड्डियाँ मेरी
सय्यद अनीसुद्दीन अहमद रीज़वी अमरोहवी
ग़ज़ल
बुलबुलों का चहचहाना है न खेतों की क़तार
क्या लगा के पँख अपनी बस्तियाँ सब उड़ गईं