आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bazm-e-hastii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bazm-e-hastii"
ग़ज़ल
आ के बज़्म-ए-हस्ती में क्या बताएँ क्या पाया
हम को था ही क्या लेना बुत मिले ख़ुदा पाया
नातिक़ गुलावठी
ग़ज़ल
रहोगे बज़्म-ए-हस्ती में यूँही बे-दस्त-ओ-पा कब तक
करोगे तुम ज़माने से मुक़द्दर का गिला कब तक
नफीस अहमद सहर
ग़ज़ल
बज़्म-ए-हस्ती को ब-सद-हसरत-ए-ता'मीर न देख
शम्अ' से रब्त बढ़ा शम्अ' की तनवीर न देख
अदीब मालेगांवी
ग़ज़ल
मैं 'बज़्म' सोज़-ए-तग़ाफ़ुल से जल बुझा लेकिन
उसे न ज़हमत-ए-फ़िक्र-ओ-ख़याल दी मैं ने
बज़्म अंसारी
ग़ज़ल
मोहब्बत ज़िंदगी है 'बज़्म' लेकिन लोग कहते हैं
कि जाम-ए-ज़हर को समझा है जाम-ए-अंगबीं मैं ने
बज़्म अंसारी
ग़ज़ल
गुरेज़ 'बज़्म' ज़रूरी है इल्तिफ़ात में भी
हो रस्म-ओ-राह तो हद से कभी बढ़ूँ भी नहीं
बज़्म अंसारी
ग़ज़ल
वो 'उम्र 'बज़्म' कि जिस का सुराग़ ही न मिला
उस उम्र-ए-रफ़्ता की इक यादगार दिल ही तो है
बज़्म अंसारी
ग़ज़ल
वो 'बज़्म' जो दिल-ओ-जाँ से 'अज़ीज़ था हम को
उसी 'अज़ीज़ ने दी हैं अज़िय्यतें क्या क्या
बज़्म अंसारी
ग़ज़ल
पुतली वालों की सी चादर है हिजाब-ए-हस्ती
सब उधर ही के करिश्मे हैं इधर कुछ भी नहीं
आशिक़ हुसैन बज़्म आफंदी
ग़ज़ल
बज़्म से उस की चले आओ जो बिगड़ा वो बुत
बैठने को कोई फ़िक़रा भी बनाया न गया
आशिक़ हुसैन बज़्म आफंदी
ग़ज़ल
पढ़ी ऐ 'बज़्म' जब मैं ने ग़ज़ल कट कट गए हासिद
रही हर मा'रका में तेज़ शमशीर-ए-ज़बाँ मेरी