aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "be-his"
सख़्त-जाँ और बे-हिस हुआ हूँग़म के एहसास से बच गया हूँ
बे-हिस ओ कज-फ़हम ओ ला-परवा कहेकल मुअर्रिख़ जाने हम को क्या कहे
मौजा-ए-दिल का मिरे बेहिस-ओ-हरकत लगनाकिसी कचियल में भरे साँप की सूरत लगना
बदन बे-हरकत-ओ-बे-हिस पड़े हैंलहू की बूँद गरमाती नहीं है
बे-हिस जिस्म किनारे उतराडूबे देख शनावर सारे
उन को सिखलाई हम ने आराइशरूह फूंकी है शख़्स-ए-बे-हिस के
न इस शहर-ए-बे-हिस को सहरा कहोसुनो इक हमारा भी घर है यहाँ
है राह-नुमा जिबिल्लत उन कीबे-हिस नहीं मौसमी परिंदे
तुफ़ ये औलाद-ए-बे-हिस कि जिस के सबबराएगाँ कार-हा-ए-सलफ़ हो गए
जिसे मरना नहीं आता उसे जीना नहीं आतादिल-ए-बे-हिस हयात-ए-जाविदाँ से कुछ नहीं होता
जिस्म बे-हिस बे-शिकन बिस्तर रहामैं नए अंदाज़ से मुज़्तर रहा
पत्थर की सूरत बे-हिस हो जाता हूँकैसी कैसी चोटें सहता रहता हूँ
संग-ए-बे-हिस से उठी मौज-ए-सियह-ताब कोईसरसराता हुआ इक साँप खंडर से निकला
बे-हिस-ओ-बे-वफ़ा है ये दुनियाऔर तू भी वफ़ा शि'आर नहीं
दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँडेपत्थर की तरह बे-हिस ओ बे-जान सा क्यूँ है
सब चीख़े चिल्लाए क्या पड़ता है फ़र्क़बे-हिस पत्थर कभी नहीं कुछ बोलेंगे
सभी गुप-चुप तका करना बुत-ए-बेहिस बना रहनाख़ुदा तुझ ही सा क्या सच-मुच मिरे माबूद होता है
देखो इस बे-हिस नागिन को छूना मतक्या मालूम ये जागती है या सोती है
ज़ेहन मुर्दा जिस्म बे-हिस बे-लिबासमैं ने वो देखा है जो देखा न था
नफ़्स-ए-अम्मारा ने ऐसा बे-हिस कियाआदमी की न बन पाए ढाल आदमी
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