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ग़ज़ल
हक़ीक़त से ख़याल अच्छा है बेदारी से ख़्वाब अच्छा
तसव्वुर में वो कैसा सामना होने से पहले था
अनवर शऊर
ग़ज़ल
बेदारी के बिस्तर पर मैं उन के ख़्वाब सजाता हूँ
नींद भी जिन की टाट के ऊपर ख़्वाबों से नादार गिरी
जौन एलिया
ग़ज़ल
तुम से दूरी, ये मजबूरी, ज़ख़्म-ए-कारी, बेदारी,
तन्हा रातें, सपने क़ातें, ख़ुद से बातें, मेरी ख़ू
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
रात हो दिन हो कि ग़फ़लत हो कि बेदारी हो
उस को देखा तो नहीं है उसे सोचा है बहुत
कृष्ण बिहारी नूर
ग़ज़ल
बेदारी आसान नहीं है आँखें खुलते ही 'अमजद'
क़दम क़दम हम सपनों के जुर्माने भरने लगते हैं
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
दिल-ए-बेदार फ़ारूक़ी दिल-ए-बेदार कर्रारी
मिस-ए-आदम के हक़ में कीमिया है दिल की बेदारी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
इक ख़्वाब-नुमा बेदारी में जाते हुए उस को देखा था
एहसास की लहरों में अब तक हैरत का सफ़ीना बहता है
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
ज़माना कर रहा है एहतिमाम-ए-जश्न-ए-बेदारी
गरेबाँ चाक कर के शोला-दामानों में आ जाओ
अली सरदार जाफ़री
ग़ज़ल
उधर पिछले से अहल-ए-माल-ओ-ज़र पर रात भारी है
इधर बेदारी-ए-जम्हूर का अंदाज़ भी बदला