आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bele"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bele"
ग़ज़ल
जब दुनिया पर बस न चले तो अंदर अंदर कुढ़ना क्या
कुछ बेले के फूल खिलाएँ आँगन की फुलवारी में
अज़रा नक़वी
ग़ज़ल
पग पग काँटे मंज़िलों सहरा कोसों जंगल बेले हैं
सफ़र-ए-ज़ीस्त कठिन है यारो राह में लाख झमेले हैं
अफ़ज़ल परवेज़
ग़ज़ल
फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ की शाख़ से लिपटा बेले का इक तन्हा फूल
कुछ कलियों की याद समेटे रातों को बे-ख़्वाब रहा
तालिब जोहरी
ग़ज़ल
लगने न दे बस हो तो उस के गौहर-ए-गोश को बाले तक
उस को फ़लक चश्म-ए-मह-ओ-ख़ुर की पुतली का तारा जाने है