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ग़ज़ल
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
दिल सी चेक-बुक है तिरे पास तुझे क्या धड़का
जी को भा जाए तो फिर चीज़ की क़ीमत पे न जा
ऐतबार साजिद
ग़ज़ल
हमें तो ख़ैर कोई दूसरा अच्छा नहीं लगता
उन्हें ख़ुद भी कोई अपने सिवा अच्छा नहीं लगता