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ग़ज़ल
दिल में खींच के उस की सूरत आज तो ख़ुश ख़ुश आए हो
कल से उस में रंग भरोगे कल से नक़्श उभारोगे
सज्जाद बाक़र रिज़वी
ग़ज़ल
काँटों ने जो ज़ख़्म लगाए वो माना भर जाएँगे
उन ज़ख़्मों को कैसे भरोगे जिन को लगाएँ फूल मियाँ
सय्यद शकील दस्नवी
ग़ज़ल
शाहबाज़ नय्यर
ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
बीता दीद उम्मीद का मौसम ख़ाक उड़ती है आँखों में
कब भेजोगे दर्द का बादल कब बरखा बरसाओगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
बर्ग-ए-गुल पर रख गई शबनम का मोती बाद-ए-सुब्ह
और चमकाती है उस मोती को सूरज की किरन
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
संसार से भागे फिरते हो भगवान को तुम क्या पाओगे
इस लोक को भी अपना न सके उस लोक में भी पछताओगे