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ग़ज़ल
जहाँ देखो वहाँ मौजूद मेरा कृष्ण प्यारा है
उसी का सब है जल्वा जो जहाँ में आश्कारा है
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
गले मुझ को लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
नींद आती ही नहीं धड़के की बस आवाज़ से
तंग आया हूँ मैं इस पुर-सोज़ दिल के साज़ से
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
आ गई सर पर क़ज़ा लो सारा सामाँ रह गया
ऐ फ़लक क्या क्या हमारे दिल में अरमाँ रह गया
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
ग़ज़ब है सुर्मा दे कर आज वो बाहर निकलते हैं
अभी से कुछ दिल-ए-मुज़्तर पर अपने तीर चलते हैं
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
दिल मिरा तीर-ए-सितमगर का निशाना हो गया
आफ़त-ए-जाँ मेरे हक़ में दिल लगाना हो गया
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
असीरान-ए-क़फ़स सेहन-ए-चमन को याद करते हैं
भला बुलबुल पे यूँ भी ज़ुल्म ऐ सय्याद करते हैं
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
फिर आई फ़स्ल-ए-गुल फिर ज़ख़्म-ए-दिल रह रह के पकते हैं
मगर दाग़-ए-जिगर पर सूरत-ए-लाला लहकते हैं
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
फिर मुझे लिखना जो वस्फ़-ए-रू-ए-जानाँ हो गया
वाजिब इस जा पर क़लम को सर झुकाना हो गया
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
अजब जौबन है गुल पर आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहारी है
शिताब आ साक़िया गुल-रू कि तेरी यादगारी है
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
ख़याल-ए-नावक-ए-मिज़्गाँ में बस हम सर पटकते हैं
हमारे दिल में मुद्दत से ये ख़ार-ए-ग़म खटकते हैं