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ग़ज़ल
एक ये दिन जब ज़ेहन में सारी अय्यारी की बातें हैं
एक वो दिन जब दिल में भोली-भाली बातें रहती थीं
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
चाँद सितारे क़ैद हैं सारे वक़्त के बंदी-ख़ाने में
लेकिन मैं आज़ाद हूँ साक़ी छोटे से पैमाने में
मीराजी
ग़ज़ल
अज्ञात
ग़ज़ल
गुज़र-औक़ात कर लेता है ये कोह ओ बयाबाँ में
कि शाहीं के लिए ज़िल्लत है कार-ए-आशियाँ-बंदी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
की हक़ से फ़रिश्तों ने 'इक़बाल' की ग़म्माज़ी
गुस्ताख़ है करता है फ़ितरत की हिना-बंदी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
वो बातें भोली भोली और वो शोख़ी नाज़ ओ ग़म्ज़ा की
वो हँस हँस कर तिरा मुझ को रुलाना याद आता है
निज़ाम रामपुरी
ग़ज़ल
जब चाँद उफ़ुक़ पर होता है और तारे झिलमिल करते हैं
आँखों में किसी की भोली भोली शक्ल समाई होती है
तालिब बाग़पती
ग़ज़ल
तंग आया हूँ मैं इस हिज्र-ओ-वस्ल की बूँदा-बाँदी से
या तो सूखा पड़ जाए या ढंग की बारिश हो जाए