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ग़ज़ल
एक ये दिन जब ज़ेहन में सारी अय्यारी की बातें हैं
एक वो दिन जब दिल में भोली-भाली बातें रहती थीं
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
अज्ञात
ग़ज़ल
वो बातें भोली भोली और वो शोख़ी नाज़ ओ ग़म्ज़ा की
वो हँस हँस कर तिरा मुझ को रुलाना याद आता है
निज़ाम रामपुरी
ग़ज़ल
जब चाँद उफ़ुक़ पर होता है और तारे झिलमिल करते हैं
आँखों में किसी की भोली भोली शक्ल समाई होती है
तालिब बाग़पती
ग़ज़ल
मुन्नी की भोली बातों सी चटकीं तारों की कलियाँ
पप्पू की ख़ामोशी शरारत सा छुप छुप कर उभरा चाँद
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
प्यासे होंटों से जब कोई झील न बोली बाबू-जी
हम ने अपने ही आँसू से आँख भिगो ली बाबू-जी
कुंवर बेचैन
ग़ज़ल
बे जिस के अंधेर है सब कुछ ऐसी बात है उस में क्या
जी का है ये बावला-पन या भोली-भाली आँखें हैं