आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bhuuk"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bhuuk"
ग़ज़ल
मिरे साग़र में मय है और तिरे हाथों में बरबत है
वतन की सर-ज़मीं में भूक से कोहराम है साक़ी
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
जब तलक साँस है भूक है प्यास है ये ही इतिहास है
रख के काँधे पे हल खेत की ओर चल जो हुआ सो हुआ
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
ये तो हर रोज़ का मामूल है हैरान हो क्यूँ
प्यास ही पीते हैं हम भूक ही हम खाते हैं